Friday, April 17, 2009

खालीपन-मेरे सभी सईनियरस के लिए

आज का यह दिन क्यूँ आया हमारे जीवन में,
एक अजब सा एहसास है मेरे मन में।
आंखों में अश्कों का सैलाब-सा रुका है
मनो एक खालीपन-सा मेरे दरवाज़े पर आ खड़ा हुआ है।

रोकूँ कैसे तुम्हे समझ नही आता,
काश ये वक्त आज यही थम जाता।
जिन हाथों को थाम चलना सीखा था IIIT में मैंने,
क्यूँ वक्त चाहता है उन्हें मुझसे दूर यूँ कर लेना।

हॉस्टल के उन कमरों में नए चेहरों का बसेरा होगा,
तेरी खिलखिलाहट का तब भी वहाँ बसेरा होगा।
एक बच्चे की तरह जाओंगी खटखटाने कमरा तेरा,
जानती हूँ जबकि कोई न वहाँ जवाब देने वाला होगा।

LT की lab में हमेशा मस्ती हुआ करेगी,
तेरे लतीफों की हँसी दूर तक गूंजा करेगी।
कोई कभी न भर पायेगा तेरे दिए खालीपन को,
तेरे प्यार और प्रेरण की बूँद मेरे खून में बहेगी।

आज दुआ है बस यही, नई ऊन्चायिओं को पाओ तुम,
जीवन के इस पग पर निरंतर आगे बढो तुम।
एक बात लेकिन कहना चाहूंगी तुमसे आज
दिल के किसी कोने में रखना हमें याद
बस यही है तेरे दिए हुए खालीपन का इलाज।