Tuesday, December 21, 2010

मेरा प्यार

कल तक तो मेरा हर आंसू तुम्हे रुलाता था,
कल तक तो मेरी हंसी तुम्हे हंसाती थी।
आज क्या हो गया?
मेरी चुनर का रंग क्यूँ खो गया?
शब्द जो थे तुम्हारे लिए,
लिखके अनदेखें से हो गए।
मेरी चाहत नआ समझे थे तुम कभी,
ना उम्मीद ही है अब की समझोगे कभी।
ये मोहब्बत लेकिन दे दी है अब तो तुमको,
ना होगी ये दोबारा अब हमसे।