Saturday, May 1, 2010

मासूम दिल

आज कागज़ पर नाम तेरा लिख रख लिया है सिराहने।
तेरे साथ की खुशबू मानो बसा ली है मैंने ख्वाबों में अपने॥

न जाना तुम दूर दिल तो चाहता है यही।
बांवरा लेकिन ज़िन्दगी की वास्तविकता समझता ही नहीं॥

मासूमियत है ये इसकी या है पागलपन
की मान बैठा है तुम रहोगे सदा इसके साथ॥

जब उदास होगा तब ले लोगे तुम हांथो में हाँथ।
जब रुआंसा होगा तुम दोगे अपने कन्धों का साथ॥

तेरी सांसो की गर्मी को संजोके।
पूजा है इसने दिए की बाती बनाके॥

इसकी लौ तले ये चलेगा अब आहिस्ते आहिस्ते.
नए भाव की इस आग में ये अब जलेगा हलके हलके ॥

Friday, April 30, 2010

न गुलाब की पत्तियां हैं,
न तेरी साँसों का सहारा।
बस रुखा सुखा सा साया है
तेरी बेरुखी से है जो मुरझाया।।

तेरी एक नज़र को तडपा करता है,
तेरी एक हंसी पे फ़िदा है।
पर तू क्यूँ हर बार ऐसा करता है,
की मानो दिल के टुकड़े हज़ार करता है॥

नाज़ुक है यह बहुत, न रुला इसे,
इसलए तेरे इंतज़ार में
खिड़की पर बैठा करता है,
एक आहट पे तेरी उचका करता है॥