मासूम दिल
आज कागज़ पर नाम तेरा लिख रख लिया है सिराहने।
तेरे साथ की खुशबू मानो बसा ली है मैंने ख्वाबों में अपने॥
न जाना तुम दूर दिल तो चाहता है यही।
बांवरा लेकिन ज़िन्दगी की वास्तविकता समझता ही नहीं॥
मासूमियत है ये इसकी या है पागलपन
की मान बैठा है तुम रहोगे सदा इसके साथ॥
जब उदास होगा तब ले लोगे तुम हांथो में हाँथ।
जब रुआंसा होगा तुम दोगे अपने कन्धों का साथ॥
तेरी सांसो की गर्मी को संजोके।
पूजा है इसने दिए की बाती बनाके॥
इसकी लौ तले ये चलेगा अब आहिस्ते आहिस्ते.
नए भाव की इस आग में ये अब जलेगा हलके हलके ॥