Monday, February 9, 2009

कुछ प्रश्न


इस रात को कहो यही थम जाए,
चाँद आज ढ़लना हई भूल जाए।
सूरज से कहना न जागे वो,
इस पल की बातें कइसी से न कहे वो।


यूँ
ही चलते-चलते कटेगा समय,
की साथ तुम्हारा है अद्वितीय।
कइतना कुछ है तुमसे कहना े, कइतना कुछ है सुनना,
इस रात को भी आज हमारे साथ होगा जगना।

न जाने दूँगी आज तुम्हे, करती हूँ यह पक्का वादा,
क्यूँ छूकर तुमने खुलवाया मेरे मन का टूटा दरवाज़ा।
क्या नाम रखूँ, क्या बात करूँ इस अनजाने से रइश्ते की,
चइत्त को बांधे तेरे मेरे कैसी है ये डोर नई।

1 comment:

  1. रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति

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