पीड़ा
आज से पहले ये एहसास हुआ नही कभी
इस दिल के कारण जो कुछ सहा, दर्द हुआ नहीं कभी।
इतना रुलाया तुमने, मुझको तडपाया तुमने,
की बाकी अब जीने को कुछ बचा नही।
कुसूर येही था कि चाहा तुमको
कुसूर येही था की इस दिल ने अपनाया तुमको।
तुम्हारी तरह आँखें बंद करके,
अपने दिल को बहलाना न आया हमको.
करना था जो तुम वो कर चुके,
जीवन का ऐसा गम मुझे दे चुके.
एहसास लेकिन कभी होगा नहीं तुम्हे
कहीं न कहीं एक गुनेहगार तुन बन चुके।
भ्रम येही था की समझा सदएव् रहोगे साथ तुम,
हर कठिनाई में साथ चलोगए तुम।
किन्तु मुझको ही बदनाम करके,
नया जीवन बसाने चले जाओगे तुम.
ऐसा कभी तुमको सोचा न था, सोचा न था।
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