DEWDROPS
Tuesday, November 29, 2011
खुद फूनकके जहां इस दुनिए से चले हम,
रास्ते सारे मिटाके चले हम।
रुसवाई का सामान बहुत भारी हो चला है,
हर किसी को अलविदा कह चले हम।
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