Saturday, May 1, 2010

मासूम दिल

आज कागज़ पर नाम तेरा लिख रख लिया है सिराहने।
तेरे साथ की खुशबू मानो बसा ली है मैंने ख्वाबों में अपने॥

न जाना तुम दूर दिल तो चाहता है यही।
बांवरा लेकिन ज़िन्दगी की वास्तविकता समझता ही नहीं॥

मासूमियत है ये इसकी या है पागलपन
की मान बैठा है तुम रहोगे सदा इसके साथ॥

जब उदास होगा तब ले लोगे तुम हांथो में हाँथ।
जब रुआंसा होगा तुम दोगे अपने कन्धों का साथ॥

तेरी सांसो की गर्मी को संजोके।
पूजा है इसने दिए की बाती बनाके॥

इसकी लौ तले ये चलेगा अब आहिस्ते आहिस्ते.
नए भाव की इस आग में ये अब जलेगा हलके हलके ॥

2 comments:

  1. Hi there, great to see a Hindi poetry blog. Your poems are heart warming!!! Keep them coming...

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